क्या होता है मोतियाबिंद कैसे करे इलाज

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क्या होता है मोतियाबिंद कैसे करे इलाज

👉 मोतियाबिंद के लक्षण इस प्रकार हैं 

✔️धुंधला या अस्पष्ट दिखाई देना
✔️दोहरा दिखाई देना / Double vision
✔️रंग फीके नजर आना
✔️हल्की रोशनी तेज प्रतीत होना
✔️रोशनी के चारों ओर गोल घेरा दिखाई देना
✔️रात के समय या कम रौशनी में दृष्टी बेहद कम होना
✔️बार-बार चश्मे के नंबर बदलना
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मोतियाबिंद आंखों का एक सामान्य रोग है। प्रायः पचपन वर्ष की आयु से अधिक के लोगों में मोतियाबिंद होता है, किन्तु युवा लोग भी इससे प्रतिरक्षित नहीं हैं। मोतियाबिंद विश्व भर में अंधत्‍व के मुख्य कारण हैं। 60 से अधिक आयु वालों में ४० प्रतिशत लोगों में मोतियाबिंद विकसित होता है। शल्‍य क्रिया ही इसका एकमात्र इलाज़ है, जो सुरक्षित एवं आसान प्रक्रिया है। आंखों के लेंस आँख से विभिन्‍न दूरियों की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। समय के साथ लेंस अपनी पारदर्शिता खो देता है तथा अपारदर्शी हो जाता है। लेंस के धुंधलेपन को मोतियाबिंद कहा जाता है। दृष्टिपटल तक प्रकाश नहीं पहुँच पाता है एवं धीरे-धीरे दृष्टि में कमी अन्धता के बिंदु तक हो जाती है। ज्यादातर लोगों में अंतिम परिणाम धुंधलापन एवं विकृत दृष्टि होती है। मोतियाबिंद का निश्चित कारण अभी तक ज्ञात नहीं है।

मोतियाबिंद के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें सबसे आम वृद्धावस्था का मोतियाबिंद है, जो ५० से अधिक आयुवाले लोगों में विकसित होता है। इस परिवर्तन में योगदान देने वाले कारकों में रोग, आनुवांशिकी, बुढ़ापा, या नेत्र की चोट शामिल है। वे लोग जो सिगरेट के धुएँ, पराबैंगनी विकिरण (सूर्य के प्रकाश सहित), या कुछ दवाएं के सम्पर्क मे रह्ते हैं, उन्हें भी मोतियाबिंद होने का खतरा होता है। मुक्त कण और ऑक्सीकरण एजेंट्स भी आयु-संबंधी मोतियाबिंद के होने से जुड़े हैं। इसके लक्षणों में समय के साथ दृष्टि में क्रमिक गिरावट, वस्‍तुयें धुंधली, विकृत, पीली या अस्‍पष्‍ट दिखाई देती हैं। रात में अथवा कम रोशनी में दृष्टि में कमी होना। रात में रंग मलिन दिखाई दे सकते हैं या रात की दृष्टि कमजोर हो सकती है। धूप या तेज रोशनी में दृष्टि चमक से प्रभावित होती है। चमकदार रोशनी के चारों ओर कुण्‍डल दिखाई देते हैं। मोतियाबिंद से खुजली, आंसू आना या सिर दर्द नहीं होता है।

बढ़ती उम्र के चलते आंखों कमजोर पड़ जाती हैं और उसमें धुंधलापन आने लगता है, जिसे कैटरैक्ट यानी मोतियाबिंद भी कहते हैं। इससे व्यक्ति को धुंधला दिखाई देता है या फिर पास की चीजें देखने में परेशानी होती। कैटरैक्ट सर्जरी में आंखों के अंदर की फेडेड विटेरस (आंखों के अंदर की ग्लास लाइन) को निकाला जाता है। ज्यादातर इसे निकालकर नए आर्टिफिशियल ग्लास से बदल दिया जाता है।

बहुत लोगों को देखने में समस्या होती है। 
लेकिन देखने में समस्या होने का मतलब ये नहीं है कि कैटरैक्ट सर्जरी की जाएगी।

इस सर्जरी को तब किया जाता है जब 
कैटरैक्ट की वजह से आपको रोज के काम करने में दिक्कत आ रही हो। जैसे काम करते समय साफ न देख पाना, कार न चला पाना, हमेशा की तरह किताब न पढ़ पाना या टीवी न देख पाना या फिर खाना न पका पाना, गार्डनिंग न कर पाना, कोई नजदीक खड़ा हो इसके बाद भी न देख पाना और बहुत तेज रोशनी में आंखों में धुंधलापन महसूस होना। अगर आपको ये सभी चीजें हो रही हैं, तो आपको कैटरैक्ट सर्जरी के बारे में सोचना चाहिए।

👉  मोतियाबिंद के कया कारण है

आमतौर पर मोतियाबिंद बढ़ती उम्र के कारण होता है लेकिन इसके कुछ अन्य कारण भी हैं।

बढ़ती उम्र के साथ लेंस की पारदर्शिता कम होने से मोतियाबिंद होता हैं।
कुछ बच्चो में जन्म से पहले ठीक से विकास न होने से, चोट या संक्रमण के कारण जन्मजात मोतियाबिंद भी हो सकता हैं।
कुछ रोगियों में अन्य कारण जैसे की मधुमेह, लंबे समय तक ली जानेवाली स्टेरॉयड दवा का दुष्परिणाम, अल्ट्रा वायलेट किरणे या विकिरण / Radiation के कारण भी मोतियाबिंद होता हैं।
आँख में लगी चोट भी असमय मोतियाबिंद का कारण बन सकती हैं।
लम्बे समय तक शराब और धूम्रपान करने से मोतियाबिंद होने का खतरा रहता हैं।

👉मोतियाबिंद से बचने के लिए निचे दिए हुए एहतियात बरतने चाहिए 

आँखों की जांच / Eye examination : 50 वर्ष की आयु के बाद हर वर्ष आँखों के डॉक्टर से आखों की जांच कराना चाहिए ताकि मोतियाबिंद को शुरूआती दौर में ही निदान कर रोका जा सके। आँख से जुडी कोई भी समस्या होने पर मेडिकल से कोई चालू दवा / ड्राप लेने की जगह डॉक्टर से अवश्य जांच कराना चाहिए।  
आहार / Diet : आँखों की सेहत लंबे समय तक अच्छी रहने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और Anti-Oxidant युक्त आहार लेना चाहिए। अपने आहार में गाजर, पालक, टमाटर, सेब, संतरा, अनार जैसे Vitamin A, Vitamin C, Beta Carotene और Anti-Oxidant युक्त आहार का समावेश करना चाहिए।  
चश्मा / Spectacle : अगर आपको कोई नंबर का चश्मा है तो उसे डॉक्टर की सलाहनुसार नियमित पहनते रहिए। हर वर्ष आँखों के डॉक्टर से जांच कराकर अपना चश्मे का नंबर बढ़ा या कम तो नहीं हुआ यह देखना चाहिए। अगर आप तेज धुप में जाते है तो धुप के चश्मे का उपयोग अवश्य करे।
रोग / Disease : अगर आपको उच्च रक्तचाप / Hypertension या मधुमेह / Diabetes जैसा कोई रोग है तो नियमित जांच, दवा और पथ्य पालन के साथ उन्हें नियंत्रण में रखे।
नशा / Habit : अगर आपको शराब, धूम्रपान या तम्बाखू जैसे किसी स्वास्थ्य विरोधी वस्तु का नशा है तो उसे जल्द बंद करे।

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