प्राकृतिक खूबसूरती से भरा यह छोटा सा हिल स्टेशन है माथेरान।
कर्जत तहसील के अंदर आने वाला यह भारत का सबसे छोटा हिल स्टेशन है।
माथेरान मुंबई और पुणे से रेल और सड़क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन नेरल है। निकटतम हवाई अड्डा छत्रपति शिवाजी इंटरनॅशनल एरपोर्ट, मुंबई है।
माथेरान शहर के केंद्र मे एक नॅरो गेज रेलवे स्टेशन है। माथेरान हिल रेलवे से नेरल के लिए प्रतिदिन सेवा उपलब्ध है। इस पर चलने वाली खिलोना गाड़ी मुख्य लाइन से नेरल जक्सन मे जुड़ती है जो की सी.एस.टी - कर्जत मार्ग के द्वारा सी.एस.टी से अच्छी तरह जुड़ा है।
बड़े शहरोंसे इसकी निकटता के कारण मातेरान शहरी नागरिकों के लिए एक सप्ताहांत बिताने के लिए लोकप्रिय स्थल है। यहां की खासियत है कि यहां किसी भी प्रकार के वाहन का प्रवेश वर्जित है। यही वजह है कि यहां का वातावरण मन को शांति प्रदान करता है। शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर सुकून के कुछ पल बिताने के लिये माथेरान बिल्कुल सही जगह है। मुंबई, पुणे और नाशिक के लोगों की तो यह जगह पहेली पसंदहै ही लेकिन अब उत्तर और दक्षिण भारत के लोगों को भी यह जगह अपनी ओर खींचने लगी है।
देश के इस सबसे छोटे हिल स्टेशन की खोज मई १८५० में ठाणे जिले के कलेक्टर ह्यूज पोयन्ट्स मलेट ने की थी। मुंबई के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड एल्फिंस्टोन ने यहां भविष्य के हिल स्टेशन की नींव रखी और गर्मी के दिनों में वक्त गुजारने की दृष्टि से इसे विकसित किया गया था।
5000 की आबादी वाला यह इलाका आज शहरी लोगों के लिए सप्ताहांत बिताने का सबसे मनपसंद स्थान बन गया है।
मुंंबई, पुणे और सूरत से आसानी से पहुंचे जा सकने के कारण भी लोगों में इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।
माथेरान का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है नेरल स्टेशन जो यहां से 9 किलोमीटर दूर है। इसके आगे वाहनों का प्रवेश वर्जित है। आगे जाने के लिए या तो पैदल जाना होगा, या बग्गी, रिक्शे या घोड़ों का प्रयोग करना होगा। लेकिन यहां पहुंचने का सबसे अच्छा साधन है यहां की टॉय ट्रेन जिसके हाल ही में 100 साल पूरे हुए हैं। पहाड़ों पर चढ़ती उतरती इस ट्रेन में बैठकर ढाई घंटे की यात्रा में खूबसूरत प्राकृतिक नजारों का आनंद उठाया जा सकता है। इसके अलावा ट्रॉली से भी यहां तक पहुंचा जा सकता है। माथेरान में प्रवेश करते ही यहां का वातावरण और शुद्ध हवा मन को ताजगी और स्फूर्ति से भर देता है।
इस छोटे से हरे-भरे शहर में साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है। लेकिन यहां आने का सबसे अच्छा मौसम है मानसून। उस समय घाटियों में फैला कोहरा, हवा में तैरते बादल और भीगा-भीगा मौसम एक अलग ही समां पैदा करते हैं।
इसके अलावा माउंट बेरी और शारलॉट लेक भी यहां के मुख्य आकर्षण हैं। माउंट बेरी से नेरल से आती हुई ट्रेन का दृश्य देखा जा सकता है। पहाड़ों पर हरियाली के बीच से घूम-घूम कर आती ट्रेन का दृश्य वाकई दिल को खुश कर देता है। वहीं शारलॉट लेक यहां के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है। लेक के दायीं ओर पीसरनाथ का प्राचीन मंदिर भी है। वहीं बायीं और दो पिकनिक स्पॉट लुईस पॉइंट और इको पॉइंट मौजूद हैं।
इसके अलावा एलेक्जेंडर पॉइंट, रामबाग पॉइंट, लिटिल चौक पॉइंट, चौक पॉइंट, वन ट्री हिल पॉइंट, ओलंपिया रेसकोर्स, लॉर्डस पॉइंट, सेसिल पॉइंट, पनोरमा पॉइंट इत्यादि अनेक स्थानों पर जाकर प्रकृति की खूबसूरती का अहसास कर सकते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिये यह स्थान किसी स्वर्ग से कम हो ही नही सकता।
पर्यावरण की दृष्टि से अतिसंवेदनशील होने के कारण यह पूरे एशिया का एक मात्र स्वचालित वाहन मुक्त हिल स्टेशन है। माथेरान मे पनोरमा पॉइंट सहित लगभग 36 पूर्व निस्चित लुक-आउट पायंट्स हैं जहाँ से आप आस पास के सारे क्षेत्र के अलावा नेरल शाहर का भी विहंगम दृश्य प्राप्त कर सकते है। पनोरमा पॉइंट से सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा बहुत नाटकीय और मनोरम होता है। लूयीसा पॉइंट के प्रबल फ़ोर्ट का सुस्पष्ट दर्शन होता है. वन ट्री हिल पॉइंट, हार्ट पॉइंट, मंकी पॉइंट, पोर्क्युपाइन पॉइंट, रामबाघ पॉइंट इत्यादि यहाँ के अन्य मुख्य पॉइंट हैं।
माथेरान की खोज १८५० मे थाने जिले के तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ह्यू पायंट्ज़ मेल्ट द्वारा की गयी थी।
उस समय के बंबई के गवर्नर लॉर्ड एलफिन्सटोन ने इस भावी हिल स्टेशन की आधारशिला रखी। अँग्रेज़ सरकार ने इस इलाक़े मे पड़ने वाली गर्मी से बचाव के लिए माथेरान का विकास किया। माथेरान हिल रेलवे का निर्माण १९०७ मे सर आदंजी पीर्भोय द्वारा किया गया था। घने जंगलो के विशाल इलाक़े मे फैला यह रेलवे २० किलो मीटर (१२ मिल) की दूरी तय करता है। माथेरान लाइट रेलवे के नाम से भी मशहूर इस स्थान का युनेसको वर्ल्ड हेरिटेज साइट के अधिकारियों द्वारा भी निरीक्षण किया गया था पर यह वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची मे स्थान पाने मे असफल रहा।[3]
माथेरान मे उपस्थित एक मात्र स्वचालित वाहन इसकी नगरपालिका द्वारा संचालित एम्बुलेंस ही है। यहां पर किसी भी निजी स्वचालित वाहन को अनुमति नही दी जाती है। माथेरान के भीतर यातयात के साधानो के रूप मे घोड़े और हाथ से खींचे जाने वाला रिक्सा ही उपलब्ध होता है। माथेरान मे बड़ी संख्या मे औषधीय पौधे और जड़ी-बूटियाँ पाई जाती हैं|
इस शहर मे बॉनेट मकाक्स, हनुमान लंगूरस समेत बहुत सारे बंदर भी पाए जाते हैं। निकट में ही अवस्थित लेक शार्लट माथेरान का पीने के पानी का प्रमुख श्रोत है। जंगल के अंदर कई तरह के जानवर जैसे कि तेंदुए, हिरण, मलाबार जाइयंट गिलहरी, लोमड़ी, जंगली सुअर, नेवले आदि पाए जाते हैं
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