नीचे कुछ प्रकार के हमलों की सूची दी गयी है
✔️ हैकिंग(Vandalism)
✔️ कमाण्ड एवं कन्ट्रोल युद्ध (C2W)
✔️ आंकड़ा संग्रह (डेटा कलेक्शन)
✔️ प्रोग्रामिंग नष्ट करना (Programming Destruction)
✔️ महत्वपूर्ण अधोसंरचनाओं पर आक्रमण
सायबर युद्ध (Cyber War) एक ऐसा युद्ध होता है जो इंटरनेट और कंप्यूटरों के माध्यम से लड़ा जाता है यानी इसमें भौतिक के स्थान पर कंप्यूटरहोते हैं।
अनेक देश लगातार साइबर युद्ध अभ्यास (War Drills) चलाते हैं जिससे वह किसी भी संभावित साइबर हमले के लिए तैयार रहते हैं।
तकनीक पर लगातार बढ़ती जा रही निर्भरता के कारण कई देशों को साइबर हमलों की चिंता भी होने लगी है।
इस कारण अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये भारी खतरा बढ़ता जा रहा है। साइबर वॉर में तकनीकी तरीकों से हमले किए जाते हैं।
ऐसे कुछ हमलों में एकदम पारंपरिक विधियां प्रयोग की जाती हैं, जैसे कंप्यूटर से जासूसी आदि। इन हमलों में वायरसों की सहायता से वेबसाइटें ठप कर दी जाती हैं और सरकार एवं उद्योग जगत को बरबाद करने का प्रयास किया जाता है।
इस युद्ध से बचाव के लिए कई देश जैसे चीन ने वेबसाइट्स को ब्लाक करने, साइबर कैफों में गश्त लगाने, मोबाइल फोन के प्रयोग पर निगरानी रखने और इंटरनेट गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हजारों की संख्या में साइबर पुलिस तैनात कर रखी है।
हैकर (कम्प्यूटर सुरक्षा)
साइबर वॉर में तकनीकी उपकरणों और अवसंरचना को भी भारी हानि होती है। एक कुशल साइबर योद्धा किसी भी देश की अत्यधिक गोपनीय सैन्य और अन्य जानकारियां प्राप्त कर सकता है। युद्ध के अन्य पारंपरिक तरीकों की तरह ही साइबर वॉर में किसी भी देश को अनेक रक्षात्मक विधियां और प्रत्युत्तर हमले के तरीके तैयार रखने पड़ते हैं, ताकि वह साइबर हमले की स्थिति में उसका तुरंत जवाब दे सके। हथियारों की दौड़ के कारण अभी तक दुनिया भर के देशों में साइबर सुरक्षा के संबंध में व्यय सीमित ही किया जाता है। सरकारें अक्सर इसके लिए जन-साधारण में से साइबर विशेषज्ञों पर निर्भर रहती हैं। यही लोग साइबर सुरक्षा प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। वैसे इन योद्धाओं के लिए यह युद्ध पारंपरिक युद्ध से अधिक सुरक्षित है क्योंकि इसमें योद्धा एक सुरक्षित स्थान पर बैठा रहता है। साइबर योद्धा विश्व के अनेक भागो में उपस्थित रहते हैं और वह सरकारों के निर्देशानुसार कंप्यूटर सिस्टमों में किसी भी किस्म की घुसपैठ पर नजर रखते हैं। कई देशों में साइबर सुरक्षा एक विशेषज्ञ कोर्स की तरह कराया जाता है जिसके बाद व्यक्ति साइबर योद्धा के तौर पर कार्य कर सकता है। अमरीका के अनुसार उसे साइबर युद्ध का सबसे बड़ा खतरा है। वहां के नेशनल इंटेलीजेंस के पूर्व निदेशक जॉन माइकल मैक्कोलेन के अनुसा आज यदि साइबर युद्ध छिड़ जाए तो अमेरिका उसमें हार जाएगा और भारत एवं चीन इस क्षेत्र में अमेरिका को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। सायबर युद्ध के लिये सबसे बड़ी तैयारी चीन की मानी जाती है।
जुलाई 2009 के साइबर आक्रमण
पहली लहर
आक्रमणों की पहली लहर 4 जुलाई 2009 को (अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस),
जिसमें संयुक्त राज्य व दक्षिण कोरिया दोनों को लक्ष्य किया गया। प्रभावित संजालस्थलों में व्हाइट हाउस व पेंटागन की वेबसाइटें भी थीं। एक जाँच से पता चला है कि 27 वेबसाइटें कंप्यूटरों पर रक्षित संचिकाओं के लिए आक्रान्त की गईं थीं।
दूसरी लहर
आक्रमणों की दूसरी लहर 7 जुलाई 2009 को हुई, जिसने दक्षिण कोरिया को प्रभावित किया। लक्ष्यभूत संजालस्थल थे- राष्ट्रपति का ब्लू हाउस, द. कोरिया का रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सभा...
तीसरी लहर
आक्रमणों की तीसरी लहर 9 जुलाई को शुरू हुई, जिसमें द. कोरिया के कई संजालस्थल निशाना बने, जिनमें देश की राष्ट्रीय आसूचना सेवा, तथा इसके बृहत्तम बैंकों में से एक व एक बड़ी समाचार एजेंसी थे।
प्रभाव
ये हमले बड़े सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के संजालस्थलों पर किए गये हैं, तथापि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय का कहना है कि ये अव्यवस्था फैलाने के उद्देश्य से किए गये हैं, न कि आँकड़ों की हैकिंग के लिए। आकलन के अनुसार इस आक्रमण से 23 मैगाबिट प्रति सेकंड आँकड़े उत्पादित हुए। आशंका है कि अधःशायी (डाउन) हुई वेबसाइटों को हुई आर्थिक हानि बड़ी राशि में होगी।
दोषी
यह नहीं पता चला है कि इन हमलों के पीछे कौन है,
यद्यपि कुछ दक्षिण कोरियाई अधिकारियों व कई मीडिया संगठनों ने सुझाया है कि उत्तर कोरिया इनके पीछे हो सकता है। रिपोर्टें बताती हैं कि आक्रमण का प्रकार, सेवा-नकार आक्रमण (डिनायल ऑफ़ सर्विस अटैक), अधिक जटिल नहीं था। परंतु दीर्घवधि होने से इन्हें समन्वित व संगठित आक्रमण माना जा रहा है। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रीय आसूचना एजेंसी के अनुसार आक्रमणकारियों ने 16 देशों में स्थित 86 आई पी पतों का प्रयोग किया, जिनमें शामिल देश थे, संयुक्त राज्य, ग्वाटेमाला, जापान तथा पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (चीन), परंतु उत्तर कोरिया इनमें नहीं था।
यह भी अनुमान लगाया गया है कि पाँच साल पुराना मायडूम Mydoom कृमि (वॉर्म), किसी अजटिल हैकर के निर्देशन में, इन आक्रमणों के लिए जिम्मेदार था, न कि उत्तर कोरिया।
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