नेपाल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कया आप जाना चाहोगे | Would you like to visit famous Nepal tourist destination

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नेपाल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कया आप जाना चाहोगे | Would you like to visit famous Nepal tourist destination

नेपाल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
भारत के उत्तर में बसा नेपाल रंगों से भरपूर एक ख़ूबसूरत देश है। यहां वह सब कुछ है जिसकी तमन्ना एक आम सैलानी को होती है। 
देवताओं का घर कहे जाने वाले नेपाल विविधाताओं से पूर्ण है। 
इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर यहां बर्फ़ से ढ़कीं पहाड़ियां हैं, वहीं दूसरी ओर तीर्थस्थान है। 
रोमांचक खेलों के शौकीन यहां रिवर राफ्टिंग, रॉक क्लाइमिंग, जंगल सफ़ारी और स्कीइंग का भी मज़ा ले सकते हैं।



1) लुम्बिनी
मुख्य लेख: लुंबिनी
लुंबिनी महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली है। यह उत्तर प्रदेश की उत्तरी सीमा के निकट वर्तमान नेपाल में स्थित है। यूनेस्को तथा विश्व के सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, बज्रयान, थेरवाद आदि) के अनुसार यह स्थान नेपाल के कपिलवस्तु में है जहाँ पर युनेस्को का आधिकारिक स्मारक लगायत सभी बुद्ध धर्म के सम्प्रयायौं ने अपने संस्कृति अनुसार के मन्दिर, गुम्बा, बिहार आदि निर्माण किया है। इस स्थान पर सम्राट अशोक द्वारा स्थापित अशोक स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में प्राकृत भाषा में बुद्ध का जन्म स्थान होने का वर्णन किया हुआ शिलापत्र अवस्थित है।


2) जनकपुर
जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहां सीता माता का जन्म हुवा था। ये नगर प्राचीन काल में मिथिला की राजधानी माना जाता है। यहाँ पर प्रसिद्ध राजा जनक थे जो सीता माता जी के पिता थे। सीता माता का जन्म मिट्टी के घड़े से हुआ था। यह शहर भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की ससुराल के रूप में विख्यात है।

3) मुक्तिनाथ
मुक्तिनाथ वैष्‍णव संप्रदाय के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह तीर्थस्‍थान शालिग्राम भगवान के लिए प्रसिद्ध है। भारत में बिहार के वाल्मीकि नगर शहर से कुछ दूरी पर जाने पर गंडक नदी से होते हुए जाने का मार्ग है ा दरअसल एक पवित्र पत्‍थर होता है जिसको हिंदू धर्म में पूजनीय माना जाता है। यह मुख्‍य रूप से नेपाल की ओर प्रवाहित होने वाली काली गण्‍डकी नदी में पाया जाता है। जिस क्षेत्र में मुक्तिनाथ स्थित हैं उसको मुक्तिक्षेत्र' के नाम से जाना जाता हैं। हिंदू धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार यह वह क्षेत्र है, जहां लोगों को मुक्ति या मोक्ष प्राप्‍त होता है। मुक्तिनाथ की यात्रा काफ़ी मुश्किल है। फिर भी हिंदू धर्मावलंबी बड़ी संख्‍या में यहां तीर्थाटन के लिए आते हैं। यात्रा के दौरान हिमालय पर्वत के एक बड़े हिस्‍से को लांघना होता है। यह हिंदू धर्म के दूरस्‍थ तीर्थस्‍थानों में से एक है।

4) ककनी
काठमांडु शहर से 29 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में छुट्टियां बिताने की ख़ूबसूरत जगह ककनी स्थित है। यहां से हिमालय का ख़ूबसूरत नजारा देखते ही बनता है। ककनी से गणोश हिमल, गौरीशंकर 7134 मी., चौबा भामर 6109 मी., मनस्लु 8163 मी., हिमालचुली 7893 मी., अन्नपूर्णा 8091 मी. समेत अनेक पर्वत चोटियों को करीब से देखा जा सकता है।

5) गोसाईं कुण्ड
समुद्र तल से 4360 मी. की ऊंचाई पर स्थित गोसाई कुण्ड झील नेपाल के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। काठमांडु से 132 किलोमीटर दूर धुंचे से गोसाई कुंड पहुंचना सबसे सही विकल्प है। उत्तर में पहाड़ और दक्षिण में विशाल झील इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। यहां और भी नौ प्रसिद्ध झीलें हैं। जैसे सरस्वती भरव, सौर्य और गणोश कुंड आदि।

6) धुलीखेल
यह प्राचीन नगर काठमांडु से 30 किलोमीटर पूर्व अर्निको राजमार्ग काठमांडु-कोदारी राजमार्ग के एक ओर बसा है। यहां से पूर्व में कयरेलुंग और पश्चिम में हिमालचुली श्रृंखलाओं के ख़ूबसूरत दृश्यों का आनंद उठाया जा सकता है।

7) पशुपतिनाथ मंदिर
मुख्य लेख: पशुपतिनाथ मंदिर
भगवान पशुपतिनाथ का यह ख़ूबसूरत मंदिर काठमांडु से क़रीब 5 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है। बIगमती नदी के किनारे इस मंदिर के साथ और भी मंदिर बने हुए हैं। विश्मवप्रसिद्ध महाकाव्य "महाभारत " जो महर्षि वेदव्यासद्वारा ५५०० ईसा पुर्व भारतवर्ष मे हुआ। उसीमे कुंतीपुञ धर्मराज युधिष्टीर , अर्जुन, भिम, नकुल, सहदेव तथा द्रोपदी जब स्वर्गारोहण कर रहे थे तब वे जिस विशाल पर्वत श्रृखंला से गये उसे " महाभारत पर्वत श्रृखंला " तथा जहा पर कैलासनाथ आदियोगी महादेव जी ने ज्योतिर्लिंग के रुप मे प्रकट हुये वो स्थान " श्री पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर " के नाम से जाना जाता है। "पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग देवस्थान" के बारे में माना जाता है कि यह नेपाल में हिंदुओं का सबसे प्रमुख और पवित्र तीर्थस्थल है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर प्रतिवर्ष हजारों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। गोल्फ़ कोर्स और हवाई अड्डे के पास बने इस मंदिर को भगवान का निवास स्थान माना जाता है।

8) जनश्रुतिका अनुसार शिवका तीन अंग
पशुपति शिव (केदार )के शिर , उत्तराखण्डका केदारनाथ शिव (केदार)का शरीर ,डोटी बोगटानका बड्डीकेदार, शिव (केदार )का पाउ (खुट्टा)के रुपमे शिवका तीन अंग प्रसिद्द ज्योतिर्लिंग धार्मिक तीर्थ है । डोटीके केदार व कार्तिकेय (मोहन्याल)का इतिहास अयोध्याका राजवंश से जुड़ा है । उत्तराखण्ड के सनातनी देवता डोटी ,सुर्खेत ,काठमाडौँ के देबिदेवाताका धार्मिक तीर्थ के लिए प्राचीन कालमे महाभारत पर्वत,चुरे पर्वत क्षेत्र से आवत जावत होता था । यिसी लिए यह क्षेत्र पवित्र धार्मिक इतिहास से सम्बन्धित है।

9) रॉयल चितवन राष्ट्रीय उद्यान
रॉयल चितवन राष्ट्रीय उद्यान देश की प्राकृतिक संपदा का ख़ज़ाना है। 932 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान दक्षिण- मध्य नेपाल में स्थित है। 1973 में इसे नेपाल के प्रथम राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा हासिल हुआ। इसकी अद्भुत पारिस्थितिकी को देखते हुए यूनेस्को ने 1984 में इसे विश्‍व धरोहर का दर्जा दिया।

10) चाँगुनारायण मंदिर
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह काठमांडु घाटी का सबसे पुराना विष्णु मंदिर है। मूल रूप से इस मंदिर का निर्माण चौथी शताब्दी के आस-पास हुआ था। वर्तमान पैगोडा शैली में बना यह मंदिर 1702 में पुन: बनाया गया जब आग के कारण यह नष्ट हो गया था। यह मंदिर घाटी के पूर्वी ओर पहाड़ की चोटी पर भक्तपुर से चार किलोमीटर उत्तर में ख़ूबसूरत और शांतिपूर्ण स्थान पर स्थित है। यह मंदिर यूनेस्को विश्‍व धरोहर सूची का हिस्सा है। 2072 वैशाख 12 का भुकम्प ने इस मन्दिरका कुछ संरचना विगड गया है।

11) भक्तपुर दरबार स्क्वैयर
भक्तपुर के दरबार स्क्वैयर का निर्माण 16वीं और 17वीं शताब्दी में हुआ था। इसके अंदर एक शाही महल दरबार और पारंपरिक नेवाड़, पैगोडा शैली में बने बहुत सारे मंदिर हैं। स्वर्ण द्वार, जो दरबार स्क्वैयर का प्रवेश द्वार है, काफी आकर्षक है। इसे देखकर अंदर की ख़ूबसूरती का सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है। यह जगह भी युनेस्को की विश्‍व धरोहर का हिस्सा है।

यूनेस्को की आठ सांस्कृतिक विश्‍व धरोहरों में से एक काठमांडु दरबार प्राचीन मंदिरों, महलों और गलियों का समूह है। यह राजधानी की सामाजिक, धार्मिक और शहरी ज़िंदगी का मुख्य केंद्र है।

12) स्वर्ण द्वार
ख़ूबसूरती की मिसाल स्वर्ण द्वार नेपाल की शान है। बेशक़ीमती पत्थरों से सजे इस दरवाज़े का धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। शाही अंदाज में बने इस द्वार के ऊपर देवी काली और गरुड़ की प्रतिमाएं लगी हैं। यह माना जाता है कि स्वर्ण द्वार स्वर्ग की दो अप्सराएं हैं। इसका वास्तुशिल्प और सुंदरता पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। तथा मनमोहक सुंदर दृश्य पर्यटकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है।

13) बोधनाथ स्तूप
काठमांडु घाटी के मध्य में स्थित बोधनाथ स्तूप तिब्बती संस्कृति का केंद्र है। 1959 में चीन के हमले के बाद यहां बड़ी संख्या में तिब्बतियों ने शरण ली और यह स्थान तिब्बती बौद्धधर्म का प्रमुख केंद्र बन गया। बोधनाथ नेपाल का सबसे बड़ा स्तूप है। इसका निर्माण 14वीं शताब्दी के आस-पास हुआ था, जब मुग़लों ने आक्रमण किया।
संदर्भ - इस स्तूप को नेपाली में बौद्ध नाम से पुकारा जाता है। इसकी प्रारम्भिक ऐतिहासिक सामग्री इसकी ही नीचे दबा हुवा अनुमानित है। लिच्छवि राजाओं मानदेव द्वारा निर्मित और शिवदेव द्वारा विस्तारित माना जाता है। हालाँकि इसकी वर्तमान स्वरूप की निर्माण की तिथि भी अज्ञात ही है। इसकी गर्भ-बेदी की दीवार पर स्थापित छोटे-छोटे प्रस्तर मूर्तियां और ऊपर की छत्रावली संस्कृत बौद्ध-धर्म का प्रतीक माना जाता है।

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