जानिए नोरा अल मतरूशी समेत उन 65 महिला अंतरिक्ष यात्रियों में से सबसे अहम महिलाओं के बारे में

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जानिए नोरा अल मतरूशी समेत उन 65 महिला अंतरिक्ष यात्रियों में से सबसे अहम महिलाओं के बारे में

हाल ही में यूएई सरकार (UAE GOVERNMENT) ने अपने महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन के लिए 27 वर्षीय महिला इंजीनियर नोरा अल मतरूशी को शामिल किया है। इसी के साथ नोरा अल मतरूशी अपने देश और दुनिया की पहली अरब एस्ट्रोनॉट बन गई है। 4305 से ज्यादा उम्मीदवारों में से उनका चयन किया गया है। नोरा अल मतरूशी अब महिला अंतरिक्ष यात्रियों के उस ऐतिहासिक समूह का हिस्सा बनने से सिर्फ कदम ही दूर हैं, जो स्पेस में कदम रख चुकी हैं। इनसेपहले आज तक सिर्फ 65 महिला अंतरिक्ष यात्रियों ने ही अंतरिक्ष तक का सफर तय किया है।

नोरा अल मतरूशी के साथ 33 साल के हमवतन मुहम्मद अल मुल्ला उनके साथ इस सफर पर जाएंगे। दोनों को मिलाकर अब यूएई के पास कुल 4 एस्ट्रोनॉट्स हैं। 
के नाम यह है "हज़्ज़ा अल मंसूरी" और "सुल्तान अल नेयादि"। मतरुशी और मुल्ला की अब अगले 30 महीनों तक यूएई एस्ट्रोनॉट प्रोग्राम के तहत मुहम्मद बिन राशिद स्पेस सेंटर के सौजन्य से नासा में ट्रेनिंग होगी।
यह ट्रैनिंग आसान नहीं होती, 

ट्रेनिंग में क्या क्या होगा शामिल ?
1) स्पेसवाक ट्रेनिंग
2) लैंग्वेज ट्रेनिंग विशेषकर रूसी भाषा
3) अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के बोर्ड की सिस्टम ट्रेनिंग
4) इसके अलावा मानव यान की जानकारी
5) रिसर्च और स्पेस फ्लाइट कण्ट्रोल
6) मिशन को लो अर्थ ऑर्बिट में लेकर जाना
7) लम्बे समय तक अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर रहने की आदत डालना
8) जटिल परिस्थितियों में जीवित बचे रहने के तरीके इत्यादि शामिल हैं |

यह तो हुई नोरा अल मतरूशी की बात अब एक नज़र डालते हैं इनसे पहले स्पेस में पहोंचने वाली उन महिलाओं पर जिन्होंने स्पेस में अपना और अपने देश का नाम रोशन किया है!
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No 1) सबसे पहले साल1963 में पहली महिला पहुंची थीं स्पेस में,
अंतरिक्ष में महिला एस्ट्रोनॉट्स का यह ऐतिहासिक सफर 16 जून, साल1963 को शुरू हुआ था। 
रूस की वैलेन्टीना टेरेशकोवा नाम की यह 26 साल की महिला दुनिया की पहली और सबसे युवा महिला अंतरिक्ष यात्री बनने का खिताब अपने नाम कर चुकी हैं। 
इतना ही नहीं, वे दुनिया की अकेली 'सोलो स्पेस ट्रेवलर' भी हैं। मिशन पर उन्होंने अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान मानव शरीर पर पडऩे वाले प्रभावों का अध्ययन किया। मिशन के दौरान उन्होंने यान भी मैन्युअली चलाया था।

No 2) पहली स्पेसवॉक और दो बार जाने वाली पहली महिला
यूएसएसआर (सोवियत यूनियन) की ओर से अंतरिक्ष में कदम रखने वाली दुनिया की दूसरी महिला रूसी एस्ट्रोनॉट स्वेतलाना येवजेनेयेवना सवित्सकाया थीं। साल 1982 में उन्होंने यह सफलता हासिल की। 1984 में एक अन्य मिशन पर जाकर वे दुनिया की पहली महिला एस्ट्रोनॉट बन गईं, जिसने दो बार अंतरिक्ष की सैर की हो। इतना ही नहीं, दुनिया की पहली 'महिला स्पेस वॉक' करने का सम्मान भी स्वेतलाना के ही नाम दर्ज है।

No 3) पहली अमरीकी महिला अंतरिक्ष यात्री
अमरीका स्पेस प्रोग्राम की दौड़ में हमेशा रूस से पीछे रहा है। महिला अंतरिक्ष यात्रियों के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। लेकिन, साल 1983 में अमरीकी अंतरिक्ष यात्री सैली राइड ने इस कमी को भी पूरा कर दिया।
दुनिया की तीसरी और अमरीका की पहली अंतरिक्ष यात्री के रूप में 38 साल पहले उन्होंने अपने देश का नाम इतिहास में लिख दिया। सैली पेशे से भौतिक विज्ञानी थीं।

No 4) दुनिया की पहली महिला पायलट एवं एकमात्र स्पेस शटल कमांडर का खिताब कर्नल ऐलीन कॉलिंस को जाता है |
अंतरिक्ष में साल1995 से पहले जो महिला यात्री गईं, उनमें से किसी को भी मिशन की कमान नहीं सौंपी गई थी। साथ ही इनमें से किसी को भी स्पेस शटल पायलट का दर्जा भी नहीं हुआ था। लेकिन, 2 फरवरी, साल 1995 को नासा के 'डिस्कवरी' यान की पायलट और कमांडर की जिम्मेदारी पहली बार आयरिश मूल की अमरीकी एस्ट्रोनॉट कर्नल ऐलीन कॉलिंस को सौंपी गई थी। 32 साल की महिला अंतरिक्ष यात्रियों के इतिहास में यह एक गौरवशाली दिन माना जाता है।

No 5) टीचर इन स्पेस प्रोजेक्ट में पहली महिला मौत
नासा के 'टीचर इन स्पेस' मिशन के लिए हाइ स्कूल टीचर क्रिस्टा को खुद नासा ने ही चुना था। लेकिन 28 जनवरी, साल 1986 को नासा के स्पेस शटल 'चैलेंजर' के दुर्घटनाग्रस्त होने से क्रिस्टा समेत सभी 6 क्रू मेंबर की मौत हो गई थी। यह बहोत ही दुखद घटना थी |

No 6) पहली भारतीय महिला 
कल्पना की 'उड़ान' और सुनीता की 'स्पेस मैराथन'
साल 1984 में राकेश शर्मा, स्पेस में पहुंचने वाले पहले भारतीय नागरिक हैं। साल1997 में नासा के 'कोलंबिया' स्पेस शटल में कल्पना चावला अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली पहली भारतीय मूल की अमरीकी नागरिक थीं। वे टीम में मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल हुई थीं। कल्पना की, 2003 में दूसरे मिशन से लौटते समय शटल हादसे में मौत हो गई थी। यह दुर्घटना भारत समेत पूरी दुनिया के लिए बेहद अफसोसनाक साबित हुई |

No 7) दूसरी भारतीय महिला 
सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में जाने वाली दूसरी भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं। स्पेस में सबसे ज्यादा दिनों तक रहने का महिला रेकॉर्ड सबसे पहले उन्हीं के नाम था। वे 7 स्पेसवॉक कर चुकीं हैं। अगस्त 2007 में स्पेस में मैराथन दौड़ने वाली वे दुनिया की पहली महिला हैं। जो भारत के लिए गर्व की बात है |


No 8) पहली 'ऑल वुमन स्पेस वॉक
लेफ्टिनेंट कर्नल ऐने मैक्लेन पहली एस्ट्रोनॉट हैं, जो दो अलग मिशन पर क्रू मेम्बर के रूप में स्पेस स्टेशन पर जा चुकी हैं। 2019 में उनकी साथी रहीं क्रिस्टीना कोच सबसे ज्यादा लंबे समय तक स्पेस में रहने वाली एस्ट्रोनॉट हैं। जेसिका मीर के साथ उन्होंने दुनिया की पहली 'ऑल वुमन स्पेस वॉक' भी की थी।


No 9) अंतरिक्ष में डीएनए सीक्वेंस कर दिखाने वाली महिला
वायरल रोग विशेषज्ञ केट रुबिंस कैंसर बायोलॉजी में पीएचडी की हैं। वे दुनिया की पहली शख्सियत हैं, जिन्होंने साल 2016 में अपने पहले मिशन पर अति सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में डीएनए क्रम का सटीक अनुक्रम का सफलतापूर्वक पता लगा लिया है। परीक्षण से वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में रहने वाले जीवों के डीएनए को अनुक्रमित करने की आस जगी है।

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