बाल मज़दूरी का असल ज़िम्मेदार कौन, यह कहानी कुछ कहती है आपसे | This story tells you something about who is responsible for child labor

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बाल मज़दूरी का असल ज़िम्मेदार कौन, यह कहानी कुछ कहती है आपसे | This story tells you something about who is responsible for child labor

सुबह के 11 बजे हैं एक मासूम बच्चा अपनी कक्षा की आखरी बैंच पर बैठा 
अपनी फटी हुई किताबों में गुम हुए उन शब्दों को तलाश कर रहा है जो अब उसे कभी नहीं मिलेंगे 
कीयुं की किताब के फट जाने से वो शब्द भी उस टुकड़े के साथ पता नहीं कहां खो गए हैं,

तभी कक्षा में मास्टर साहब आते है
सभी बच्चे खड़े हो कर गूड मॉर्निंग सर कहते है,

मास्टर साहब सभी को बैठ जाने को केहते है
पर इस मासूम पर नज़र पड़ते ही इसे खड़े रहने को कहते हैं

कक्षा में सभी बच्चों का ध्यान इस मासूम पर होता है 
सभी की नज़रें इस की तरफ घूर रही होती है
और ये मासूम अपनी झुकी हुई नज़रों से सभी को खुद की ओर निहारने का अहेसास करता है 

मास्टर साहब कड़े लहजे में कहते हैं,
तुम्हारी इस महीने की फीस अभी तक नहीं आई है,
हर महीने का यही नाटक है,
अब ऐसा नहीं चलेगा,

देख लो अभी 11 बज रहे है कल इसी समय ठीक 11 बजे तुम्हारी फीस जमा हो जानी चाहिए !
मै तुम्हें चौबीस घंटे का समय से रहा हूं !

वह मासूम कभी दीवार पर लटकती उस घड़ी को देखता है तो कभी मास्टर को, 
फिर सभी बच्चों से नज़रें चुरा कर हर बच्चे की तरफ देखते हुए अपनी फटी हुई किताब पर नज़रें गड़ाए अपनी बेबसी के आंसुओं से किताब पर लिखे उस शब्द को धोता है जहां पर लिखा होता है

"भारत मेरा मुल्क है"

स्कूल छुटने के बाद घर आकर मां को सारी बातें बताकर मां के सीने से लिपट कर रो पड़ता है

मां उसे समझाती है बेटा फिक्र मत कर कल मै मास्टर जी से बात करूंगी उनसे दो चार दिन का समय मांग लूंगी,

तब वो बच्चा कहता है 
मां मास्टर जी नहीं मानेंगे इस बार उन्होंने बहुत सख्ती से कहा है कल सुबह 11 बजे फीस मिल जानी चाहिए,
यानी मां मास्टर जी ने सिर्फ चौबीस घंटों का समय दिया है, जिसमें से कुछ घंटे यूं ही गुज़र गए,

मां अपने मासूम बच्चे के सर पर हाथ रख कर उसे खाना देकर बोलती है बेटा तू खाना खा ले मै तेरी फीस का पैसा लेकर आती हूं,

मां के दिए हुए प्यार भरे दिलासों से ही उस मासूम का पेट भर गया,

मां पैसों का इंतज़ाम करने के लिए घर से बाहर चली गई, लेकिन उस मासूम को अच्छी तरह मालूम है पैसे कहीं से नहीं मिलेंगे, 

आखिर कौन देगा पैसा ?
इनकी मदद करने से किसे फायदा होगा ?

यही सब वो मासूम सोच रहा था और घूमती हुई इस खौफनाक घड़ी की सुइयों को निहार रहा था

बाहर मां हर जानने वाले के दरवाज़े पर लोगों से अपने बच्चे की फीस के लिए हाथ फैला रही थी,

धीरे धीरे समय गुज़र रहा था,
आखिर मां शाम को थक हार कर घर वापस आ गई,

मां की आंखों में मौजूद आंसूओं ने इस मासूम को सब कुछ समझा दिया,

इस मासूम ने अपनी मां कि आंखों से आंसु पोच्छते हुए बोला,

मां मै कल से स्कूल नहीं जाऊंगा,
मुझे अपने साथ मालिक की फैक्ट्री में ले चलना मै भी आपके साथ वहां रहूंगा और काम सीखूंगा...

बच्चे के इन शब्दों ने मां का सीना चीर दिया पर वो बेचारी क्या कर सकती थी,

अगर आज इस बच्चे का बाप ज़िंदा होता तो शायद इसे ये बात बोलने कि ज़रूरत न होती,

आखिर किसी तरह रात गुज़र गई,
अगली सुबह जब मां ने बच्चे को स्कूल जाने के लिए जगाई तब,
बच्चे ने फिर कहा मां मै स्कूल नहीं जाऊंगा
आपके साथ फैक्ट्री चलूंगा,

मां ने अपने बच्चे को समझाते हुए तैयार किया 
और स्कूल की तरफ निकल पड़ी,

ये चौबीस घंटे बहुत मुश्किल से गुज़र रहे थे,
आखिर स्कूल पहोंच कर मां ने मास्टर जी के सामने हाथ जोड़ कर बच्चे कि फीस के लिए और दो चार दिन की मोहलत मिलने की उम्मीद में खड़ी रही,

पर मास्टर ने साफ कह दिया,
मैंने चौबीस घंटों का समय दिया था 
जिसमे अभी दो घंटे बचे हैं,

अभी भी समय है या तो फीस लाओ या 
अपने बच्चे को लेकर जाओ,

ये कोई सरकारी स्कूल नहीं है,

मां अपने बच्चे का हाथ थामे सरकारी स्कूल की ओर निकल पड़ी,
पर सरकारी स्कूल वालों ने कहा अभी किसी का एडमिशन नहीं ही सकता, 
अगले साल आना,

हर तरफ से न सुनने के बाद वो मां अपने बच्चे को लेकर फैक्ट्री में ले गई,

जहां का भविष्य अंधकार में डूबा हुआ है,
मज़दूर हमेशा मज़दूर ही रहेगा,
और मालिक हमेशा मालिक,

उस फैक्ट्री में मां को काम करता देख ये मासूम भी कोई छोटे मोटे काम कर लिया करता था,

कुछ दिन गुज़र जाने के बाद किसी ने पोलिस को खबर भेजी की यहां एक फैक्ट्री में बहुत छोटा बच्चा काम करता है,
फैक्ट्री का मालिक बच्चे से बाल मज़दूरी करवा रहा है, 
तुरन्त पोलिस की टीम उस फैक्ट्री पर पहोंच कर बच्चे को वहां से बाहर निकलती है, 
और फैक्ट्री मालिक के खिलाफ केस दर्ज कर जेल भेज देती है,
जिस वजह से फैक्ट्री में ताला लग जाता है,

"फैक्ट्री में ताला लगाने की वजह से फैक्ट्री मालिक का परिवार काफी परेशानी में आ जाते है"

"कई मज़दूर बेरोजगार हो जाते है"

"और भी न जाने कितने बच्चों कि पढ़ाई और रोज़ के अनाज की दिक्कत सामने आने लगती है"

"बाल मज़दूरी तो सच में अपराध है"
पर इस अपराध का असल ज़िम्मेदार कौन ?

1) वो जो एक बच्चे को जन्म देकर इस दुनिया से चला गया?

2) वो मास्टर जो किसी बच्चे की पूरी ज़िन्दगी का फैसला सिर्फ चौबीस घंटों में तय कर दिया ?

3) वो मां जो बच्चे को घर में अकेला न छोड़ कर साथ फैक्ट्री में ले आई ?

4) वो जिसने एक बच्चे को अपनी फैक्ट्री में काम करते देख भी उसकी मदद नहीं किया ?

5) वो खबर देने वाला जिसने पोलिस को बाल मज़दूरी की खबर पहोंचाई ?

6) वो पोलिस ऑफिसर जिसने खबर मिलने पर तुरन्त करवाई को अंजाम दिया,

7) वो जिसने ये कानून बनाया ?

8) या हम ? जो हमारे आस पास हो रहे इतनी ना इंसाफी को देख कर भी अपनी आंखें बन्द किए हुए हैं ?

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आपका अनजान दोस्त
Taby Tabrez Shaikh

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