महिलाओं का दिल बहोत ही कोमल होता है, महिलाएं भावना और दया की मूर्ति होती हैं, महिलाएं सभी के प्रति प्रेम रखती हैं, महिलाओं में सबसे बड़ा रुतबा मां का होता है, महिला चाहे बेटी हो, बहू हो, बीवी हो, बहन हो, या मां अपने हर किरदार में खरी उतरती हैं,
लेकिन आज मैं आप लोगों को एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसने हज़ारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया थ।
कौन है यह महिला ?
इस महिला का नाम इरमगार्ड (irmgard) है। इस महिला पर आरोप है की इसने 10000 यहूदी लोगों को मौत के घाट उतार दिया था,
यह महिला जर्मनी की रहने वाली है आज के समय इस महिला की उम्र करीब 95 साल है,
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यह महिला अडोल्फ हिटलर की नाजी सेना में शामिल थी,
नाजी सेना द्वारा बनाये गए एक यातना गुह में यह महिला सचिव के रूप में ड्यूटी करती थी,
रिपोर्ट के मुताबिक यह महिला जून 1943 से अप्रैल 1945 तक पोलैंड के शहर गदनस्क में नाजियों द्वारा बनाये गए स्तुथोफ कैंप में कमांडर सचिव थी, इस महिला ने खुद स्वीकार किया है की स्तुथोफ कैंप में कई पत्राचार और फाइलें थी, जिनमे यहूदी कैदियों की हत्याओं के बारे में सभी राज लिखे हुए थे, उस समय वहां पर हज़ारों यहूदियों को गैस चेंबर में बंद करके मौत के घाट उतार दिया गया था जिसमे यह भी शामिल थीं,
अभी इस महिला को सजा नहीं सुनाई गई है,
क्यों की इस महिला से यह सारे अपराध 21 की उम्र में हुए थे इस लिए इस महिला का मुकद्दमा किशोर अदालत में चलाया जाएगा,
जिसके बाद ही इस महिला को सजा सुनाई जायेगी।
किशोर अदालत में क्यों चलेगा मुकददमा ?
दरअसल भारत में किसी भी अपराधी को तभी किशोर अदालत में सजा सुनाई जाती है जब वह 18 साल से काम हो। लेकिन जर्मनी में ऐसा नहीं है, जर्मनी में अगर कोई 21 साल या उससे कम उम्र का होगा तो उसके लिए उसे किशोर अदालत में ही सजा सुनाई जायेगी,
हम उम्मीद करते हैं की अदालत पूरी सच्चाई को जानकार इस महिला को सजा सुनाये,
जानकारी अच्छी लगी होतो सभी के साथ शेयर ज़रूर करीए
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