आज आप ऐसे लोगों के बारे में जानोगे जिनकी कहानी आम इंसानो से बिलकुल अलग है।
दुनिया के रहस्य्मय बच्चे जिन्हे इंसानो ने नहीं बल्कि जंगली जानवरों में पाला है |
क्यों की इन सभी को किसी इंसान ने नहीं बल्कि जंगली जानवरों ने पाल कर बड़ा किया थ।
आखरी वाला बेहद रोचक है,
इस लिस्ट में पहले नाम है सुजीत कुमार का जिन्हे चिकेन बॉय भी कहा जाता है,
इनको चिकन बॉय के नाम से जानने के पीछे की वजह है,
ये इंसान बिल्कुल मुर्गियों की तरह बर्ताव करता है, क्यों की सुजीत कुमार का पूरा बचपन मुर्गियों के साथ उनके पिंजरे में कैद होकर गुज़रा है,
सुजीत कुमार 1978 में फिजी में पैदा हुआ था, इस आदमी के माँ बाप बचपन में ही मर गए थे, माँ बाप की मौत के बाद सुजीत कुमार को उसके दादा ने पाला था, लेकिन दादा ने सुजीत कुमार को मुर्गियों के पिंजरे में कई साल तक कैद कर रखा था, माना जाता है की ऐसा करने के पीछे दादा की यही वजह रही होगी की छोटे बच्चे की देखभाल करने वाला कोई नहीं था, छोटे होने की वजह से सुजीत यहाँ वहां न चला जाये इस लिए दादा ने मुर्ग़ियों के पिंजरे में रखा होगा, पर मुर्गियों के साथ रहने का सुजीत कुमार पर बहोत बुरा असर हुआ,
सुजीत कुमार का चलना फिरना, खाना पीना यहाँ तक की मुंह से आवाज़ निकलना सभ कुछ मुर्गियों की तरह था, बाद में इसे सर्कार द्वारा बचा लिया गया थ। लेकिन दुनिया इसे चिकन बॉय के नाम से जानने लगी।
मरीना चैपमैन वोह औरत है जिसने अपना बचपन जंगल में बंदरों के साथ गुज़ारा है, 1954 में जब मरीना चैपमैन की उम्र सिर्फ 5 साल थी, तभी इन्हे गोलम्बिया में इनके गाओं से अगवा कर लिया गया था, पर किसी वजह से अगवा करने वालों ने इन्हे एक जंगल में छोड़ कर भाग गए, लेकिन सबसे हैरानी की बात यह हुई की, जंगल में कुछ बंदरों ने इन्हे पालना शुरू कर दिया, इन्होने ने अगले पुरे पांच साल इसी जंगल में इन बंदरों के साथ गुज़ारे, यह खाने में बैरी, जड़ी बूटियां और केले कहती थीं, और बंदरों के साथ पेड़ों पर सो जाती थी, यह बिलकुल बंदरों की तरह ही अपने चरों टांगो यानी दोनों हाथ और दोनों पैरों की मदद से चलने लगी थीं, पांच साल बाद कुछ शिकारियों ने इन्हे जंगल में इस हाल में देखा जिसके बाद इन्हे वह से निकाला जा सका।
इवान मिक्षुकोव रूस का रहने वाला है, साल 1996 में किसी वजह से ये अपने घर से भाग गया था, पर उस समय ये काफी काम उम्र का था,
यह सड़कों पर रहने लगा, और इन्ही सड़कों पर इसे आवारा कुत्ते मिल गए, और इसकी ज़िन्दगी इन्हीं कुत्तों के साथ गुज़रना शुरू हो गयी,
अब इस लड़के के सबकुछ ये कुत्ते थे, यह लड़का लोगों से खाना मान कर लाता था, और इन कुत्तों को खिला देता था, और साथ में खुद भी खाया करता था, देखा जाये तो यह एक तरह से इन कुत्तों के गरोह का लीडर बन गया था, करीब दो साल बाद इवान को वहां से ले जाया गया था, इवान की इस कहानी ने दुनिया को हैरान कर दिया था,
जॉन सेबुन्या नाम का ये इंसान युगांडा में पैदा हुआ था, यह भी अपने घर से भाग कर जंगल में चला गया था,
दरअसल 1998 में जॉन के पिता ने उसकी मान को मार डाला था और जॉन ने यह सब अपनी आँखों से देख लिया था,
जिसकी वजह से वह घर से भाग कर जंगल में चला गया, जंगल में अगले तीन साल तक यह बन्दरों साथ रहा, तीन साल बाद 1991 में इसे जंगल से निकाल लिया गया था, यह बिल्कुम बन्दरों की तरह अपने घुटनो पर चल रहा था, जॉन के मुताबिक जंगल में सबसे पहले खुद बन्दरों ने ही इसे खाना ऑफर किया था, जिसके बाद यह बन्दरों के साथ बिना किसी दर के रहने लगा, यह किसी भी पेड़ पर आसानी से चढ़ जाता था,
आज से करीब 120 साल पहले हमारे देश भारत के बुलंद शहर के जंगल में शिकारियों को एक बचा नज़र आया, डराने वाली बात यह थी इस इस बच्चे को खूंखार भेड़ियों ने घेर रखा था, पर असल में यह भेड़ियें इसे मारना नहीं चाहते थे, बल्कि वह सब इसकी हिफाज़त कर रहे थे,
यह बच्चा भी अपने हाथों और टांगों पर भेड़ियों की तरह बैठा हुआ था, शिकारियों ने जब इस बच्चे को भेड़ियों से बचाना चाहा तो भेड़ियें पीछे ही नहीं हट रहे थे, बड़ी मुश्किलों के बाद इस बच्चे को वहां से निकाला जा सका, इस बच्चे को इन्हीं भेड़ियों ने पाल कर बड़ा किया था, लेकिन आज तक पता नहीं चल सका की यह बच्चा वहां कैसे पहुंच गया, इस बच्चे का नाम wolf boy दीना सैनीचार रखा गया, यह लड़का बोल नहीं सकता था, और खाने में सिर्फ कच्चा गोश्त ही खता था, इस की मौत सिर्फ 29 साल की उम्र में ही हो गयी थी,
यह कहानी भी भारत के ही एक जंगल की है, 1972 में कुछ सघिकारियों को जंगल में एक बच्चा मिला, इस बच्चे की उम्र करीब 4 साल की थी, यह बच्चा भेड़ियों के बच्चों के साथ खेल रहा था, और इसके दांत बहोत ही नुकीले थे, शिकारी इस बच्चे को शहर लेकर आ गए, लेकिन यह बच्चा कौन था यह कोई नहीं जानता था, यह बच्चा बिलकुल भेड़िये की तरह बर्ताव करता था, शिकारियों ने इस बच्चे का नाम श्याम देव रखा था, ऐसा कहा जाता है की शाम देव को खून पिने का बहोत शौक था, वो बड़े बजे से खून पिया करता था, लेकिन यह बच्चा सिर्फ 13 साल की उम्र में ही मर गया था,
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